अमेरिका की यात्रा पर गए भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को दी शुभकामनाएं
अमेरिका की यात्रा पर गए भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को शुभकामनाएं दी है। एक इंटरव्यू में उन्होंने पीएम शहबाज शरीफ को कहा है कि भारत चाहता है कि वो अपने यहां पर आतंकवाद पर अंकुश लगाएं। गौरतलब है कि राजनाथ सिंह फिलहाल अमेरिका के पांच दिवसीय दौरे पर वाशिंगटन डीसी में हैं। उनके इस दौरे का मकसद दोनों देशों के बीच संबंधों को और अधिक मजबूत करना है। इस बीच पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने सत्ता पर काबिज होने के बाद दिए अपने पहले संबोधन में कश्मीर का राग अलापाा था। इसके ही जवाब में राजनाथ सिंह ने भी जवाब दिया है।
आतंकवाद के मुद्दे पर हुई यूएस से बात
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय वार्ता में आतंकवाद का मुद्दा उठना जरूरी है। अमेरिका संग हुई टू प्लस टू वार्ता में भी आतंकवाद के मुद्दे पर बातचीत हुई। उनके मुताबिक स मुद्दे पर अमेरिका से केवल विचार-विमर्श किया गया। इस पर अमेरिका के आश्वासन का कोई सवाल ही नहीं है।
रूस पर भारत की निर्भरताएएनआई को दिए एक इंटरव्यू में राजनाथ सिंह ने रूस के बाबत पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि स्पेयर पार्ट्स के लिए भारत रूस पर निर्भर है और हमें इसकी कमी का सामना भी करना पड़ सकता है। लेकिन यदि ऐसा होता है तो भारत उसके लिए भी तैयार है। उन्होंने साफ कहा कि इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ उनकी कोई बातचीत नहीं हुई है। एक अन्य सवाल के जवाब में राजनाथ सिंह ने कहा कि इसमें कोई दोराय नहीं है कि अमेरिका और भारत एक पारंपरिक सहयोगी हैं। भारत सभी देशों के साथ बेहतर संबंध चाहता है।
डिफेंस सिस्टम की खरीद पर राजनाथ का जवाब
इस इंटरव्यू में उन्होंने बेबाकी से कई सवालों के जवाब दिए। अमेरिका द्वारा भारत को सस्ती कीमत में डिफेंस सिस्टम मुहैया कराने से बाबत एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कम कीमत का फायदा हमें केवल तभी हो सकता है जब हमें उस सिस्टम की जरूरत हो और हम उसको बनाने में असमर्थ हों। ऐसी स्थिति में ही हम उस सिस्टम को खरीदने की तरफ कदम बढ़ाएंगे। उन्होंने ये भी कहा कि भारत आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम कर रहा है। जहां तक अमेरिका से हुई बातचीत का सवाल है तो इसमें कहीं भी नकारात्मकता दिखाई नहीं देती है। राजनाथ सिंह ने कहा कि वो अमेरिकी कंपनियों का भारत में स्वागत करते हैं।