जीएसटी काउंसिल की 40वीं बैठक: हो सकता है पान-मसाला महंगा
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जीएसटी काउंसिल अपनी अगली बैठक में पान मसाला के अलावा विनिर्माण के स्तर पर ईंट पर अतिरिक्त सेस बढ़ाने के बारे में चर्चा कर सकती है: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण.
शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक हुई इसमें
छोटे कारोबारियों को राहत देने वाले कई अहम फैसले लिए गए
5 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले छोटे कारोबारी रिटर्न दाखिल करने में देरी पर लगने वाला ब्याज आधा देंगे. इसकी दर नौ फीसदी रहेगी. ये नियम फरवरी, मार्च और अप्रैल के रिटर्न दाखिल करने के लिए लागू है.
ब्याज पर छूट का लाभ तभी मिलेगा जब सितंबर 2020 तक रिटर्न दाखिल कर दिये जाएंगे.
मई, जून और जुलाई के लिए रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा को भी सितंबर तक बढ़ा दिया गया है. इसके लिए कोई ब्याज या विलंब शुल्क नहीं लगेगा.
जुलाई 2017 से जनवरी 2020 के दौरान शून्य टैक्स देनदारी वाले पंजीकृत इकाइयों को जीएसटी रिटर्न देर से दाखिल करने पर कोई शुल्क नहीं देना होगा.
अन्य इकाइयों जुलाई 2017 से जनवरी 2020 तक की अवधि के लिए मासिक बिक्री रिटर्न दाखिल करने में देरी पर अधिकतम 500 रुपये शुल्क देना होगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक लॉकडाउन के दो महीने के दौरान राजस्व संग्रह महज 45 प्रतिशत के दायरे में रहा है.
पान-मसाला पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी और 60 फीसदी की दर से सेस लगता है और ईंटों पर पांच से 18 प्रतिशत तक की दर से जीएसटी लगता है. ईंट के प्रकार के हिसाब से जीएसटी की दर तय होती है जैसे भवनों में लगने वाली ईंटों के अलावा मिट्टी आदि से बनने वाली ईटों पर पांच फीसदी जीएसटी लगता है.