निस्वार्थ सेवा के सही मायने सिखाता 25 साल का समाजसेवक दिव्यांश।

food prepration by divyansh
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कोरोना महामारी के इस भयावह काल में जिस प्रकार लोग अपने रिश्तेदारों से मिलने में कतरा रहे है वही दूसरी ओर हमारे समाज में कुछ ऐसे लोग भी है जो अपनी जान की परवाह किये बिना दिन रात असहाय एवं जरूरतमंद लोगो की सेवा में लगे हुए है। उत्तराखंड कि अगर बात की जाए तो कही वाकया ऐसे भी सुनने में आये है जहा परिवार वालो ने अपनों का अंतिम संस्कार करना तक लाज़मी न समझा और पुलिस द्वारा उन दिवंगत शरीरो का दाह संस्कार किया गया। इस विपत्ति काल में ट्रू इंडियन न्यूज़ की टीम को एक ऐसी शक्शियत से रूबरू होने का अवसर मिला। दिव्यांश, जिनकी उम्र मात्रा 25 साल की है लेकिन अपने कर्मो से बड़े बड़े प्रेरणा स्त्रोत लोगो की सूचि में नाम शामिल करवाने में सक्षम रहे है।

food distribution by divyansh
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एक ख़ास साक्षात्कार में दिव्यांश ने बताया कि किस प्रकार वह हमेशा से ही लोगो की सेवा में तत्पर रहे है। दिव्यांश 12 साल से देहरादून में रह है और कही भी सेवा का अवसर मिले वह पीछे नहीं हट ते है। केवल एक परिवार का खाना अकेले बनाने में आम इंसान को मशकत्त करनी पड़ती है वही दिव्यांश रोज़ अकेले रहते हुए भी सेकड़ो लोगो का खाना स्वयं बनाते है और सड़क किनारे रह रहे जरुरतमंदो को अपने आप खाना देकर आते है। पिछले 25 दिनों से दिव्यांश रोज़ाना यह कार्य स्वयं कर रहे है जिसकी जितनी तारीफ़ की जाए काम है। शिखा ( नाम बदला हुआ ), जिसकी मृत्यु कोरोना महामारी के कारन हो गयी थी और परिवार वाले अंतिम संस्कार के लिए आने में सहमत नहीं थे ,दिव्यांश ने उस अनजान युवती का स्वयं अंतिम संस्कार विधि विधान से करवाया एवं उसकी अस्थियों को हरिद्वार में माँ गंगा में प्रवाहित भी करवाया। हम अक्सर अपने आस पास देखते है की किसी भी व्यक्ति के अंतिम संस्कार की रस्मे हम व्यस्त होने कारण कुछ बदलाव करने के उपरांत जल्दी कर देते है लेकिन इन सबसे ऊपर उठकर दिव्यांश ने साबित कर दिया की नर सेवा ही नारायण सेवा है। हमारी टीम यु तो कई समाजसेवियों से साक्षात्कार करती रहती है परन्तु दिव्यांश जैसा निस्वार्थ भाव देख कर सब अचंभित थे, जिसके उपरान्त टीम द्वारा कुछ कच्चा राशन दिव्यांश को उनकी मदद को जारी रखने के लिए दिया गया।

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