प्राइवेट ट्रेनें चलाने में विदेशी कंपनियां भी लगा सकती हैं बोली, 30 हजार करोड़ का होगा निवेश

रेलवे में निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए बड़ा फैसला लेते हुए भारतीय रेलवे ने 109 रूट पर 151 अत्याधुनिक प्राइवेट ट्रेनें चलाने का फैसला किया है. रेल मंत्रालय ने प्राइवेट ट्रेनें चलाने के लिए रिक्वेस्ट फॉर क्वॉलिफिकेशन (RFQ) मांगा है और यात्री ट्रेनें चलाने के लिए प्राइवेट पार्टनर को आमंत्रित किया गया है. प्राइवेट की भागीदारी से रेलवे में 30 हजार करोड़ रुपये का निवेश आने की उम्मीद है.
भारतीय रेलवे में निजी ट्रेन चलाने के लिए दुनिया की दिग्गज कंपनियां इटलफेर, वर्जिन ट्रेन्स, जैसी कंपनियां भी बोली लगा सकती हैं और ट्रेन के डिब्बों आदि के उत्पादन के लिए ​दिग्गज विदेशी रोलिंग स्टॉक मैन्युफैक्चरर बम्बॉर्डियर, अल्सटम, टैल्गो और सीएएफ जैसी दुनिया की दिग्गज कंपनियां दौड़ में शामिल हो सकती हैं.

भारतीय रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने जानकारी दी कि सभी पक्षों से कई दौर की बात के बाद रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन (RFQ) तय किया गया है और उन्होंने उम्मीद जताई कि ज्यादा से ज्यादा कंपनियां इसमें शामिल होंगी.उन्होंने बताया कि सभी ट्रेन और कोच का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ पॉलिसी के ​तहत होगा और ज्यादातर कोच का निर्माण भारत में ही किया जाएगा वही शुरुआत में कुछ कोच बाहर से मंगाए जा सकते हैं.

भारत में पहली बार सीधे तौर पर प्राइवेट कंपनियों को यात्री ट्रेनें चलाने देने का निर्णय लिया गया है. रेलवे के अनुसार इससे भारतीय रेल में नई तकनीक का विकास होगा और मेंटेनेंस कॉस्ट को कम किया जा सके. रेलवे ने यह भी दावा किया है कि इससे नई नौकरियों के अवसर पैदा होंगे, सेफ्टी का भरोसा मजबूत होगा और यात्रियों को वर्ल्ड क्लास ट्रैवल का अनुभव मिलेगा.

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