सात बार मौत के मुंह से निकल चुके बाबा रामदेव की कहानी अब दिखेगी परदे पर

एक समय था जब बाबा रामदेव को उनके योग के लिए जाना जाता था, समय के साथ ही बाबा रामदेव ने अपने आयुर्वेदिक ब्रांड पतंजलि को लेकर भी खूब चर्चाएं बटोर ली। और अब बाबा रामदेव के जीवन की कहानी पर्दे पर देखने को मिलेगी। जीत डिस्कवरी चैनल पर शुरू होने जा रहे टीवी सीरियल ‘स्वामी रामदेवः एक संघर्ष’ के प्रमोशन के मौके पर रामदेव ने अपने जीवन की संघर्ष कहानियों के बारे में बताया। रामदेव ने यह भी अवगत कराया कि इस सीरियल में उनके रामकृष्ण यादव से स्वामी रामदेव बनने तक की पूरी कहानी दिखाई जाएगी। बाबा राम देव के जीवन पर आधारित टीवी सीरियल में उनके जीवन से जुड़े पहलुओं को उजागर किया जाएगा।

स्वामी रामदेव ने सीरियल के प्रमोशन के दौरान अपनी आखिरी ख्वाहिश कका भी जिक्र किया, कहा की वह सन्यासी हैं और सन्यासी की कोई इच्छा नहीं होती। वह अपनी सारी इच्छाएं छोड़ के साधु बने हैं इसलिए अब उनकी कोई इच्छा नहीं बची। बाकी जो भगवान करवाता है वह करते जाते हैं। इसी के साथ उन्होंने अपने बचपन के दिनों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि उनका बचपन संघर्षों और मुश्किलों में बीता है, इतना ही नहीं उन्होंने सात बार मौत को भी करीब से देखा है। ये सब कहानियां टीवी सीरियल के माध्यम से देखने को मिलेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि उनके शो में कोई भी गलत बात देखने को नहीं मिलेगी। यह सीरियल लोगों को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा।

इतना ही नहीं, उन्होंने बताया कि वह अपनी माँ के काफी करीब थे और जब वह साधू बने तो उनकी माँ बेहोश हो गई थीं। वह कई दिनों तक रोती रही। हालांकि वह मानते हैं कि किसी भी माँ के लिए अपने बेटे को भगवा चोले में देखना काफी मुश्किल और दुखदायक है।

उन्होंने आगे बताया, ‘हरिद्वार पहुंचने पर मेरा साथ षडयंत्र हुआ कि एक बार 50 से ज्यादा लोगों ने मुझे घेर लिया था। मेरी मौत का पूरा इंतजाम था लेकिन मैं बच गया।’ इसके बाद एक और घटना का जिक्र करते हुए रामदेव ने बताया कि एक बार गलती से ऐल्युमिनियम पात्र में उबला दूध पी लिया था। इस वजह से उनके शरीर में आर्सेनिक का जहर फैल गया और सैकड़ों उल्टियां हुईं।

अपने जीवन के बारे में बात करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा, ‘मैंने हर विरोध और तिरस्कार को अपनी ताकत बनाया। मेरे सफर में मेरे गुरु आचार्य वाष्र्णेय हमेशा साथ रहे।’

स्वामी रामदेव ने कहा, ‘जीते जी अपनी कहाानियों को दिखाना एक और संघर्ष को बुलावा देना है लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं।’ उन्होंने कहा, ‘मैं एक ठेठ देसी और शुद्ध संन्यासी हूं। मैंने हमेशा धारा के विरुद्ध अपनी जीवन यात्रा को आगे बढ़ाया है। सामाजिक दृष्टि से मुझे बहुत देर बाद अंदाजा हुआ कि मैं एक पिछड़े परिवार से आता हूं।’

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