7 साल से बैंकों को लगाते रहे चूना, यूपीए सरकार के दौर से चल रहा घोटाला एनडीए सरकार में कई गुना अधिक बढ़ गया
नीरव मोदी और उनकी डायमंड कम्पनियों के द्वारा सबसे बड़े बैंक घोटाले की परतें धीरे धीरे खुलने लगी हैं और एक के बाद एक चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। गीतांजलि ग्रुप को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने के खिलाफ सबसे पहले आवाज उठाने वाले इलाहाबाद बैंक के पूर्व डायरेक्टर दिनेश दूबे ने दावा किया है कि यह घोटाला यूपीए सरकार के दौर से चला आ रहा है और एनडीए सरकार में कई गुना अधिक बढ़ गया। बैंक के पूर्व डायरेक्टर दिनेश दूबे ने कहा, ‘मैंने गीतांजलि जेम्स के खिलाफ 2013 में सरकार और RBI को डिसेन्ट नोट भेजा था पर मुझे आदेश दिया गया था कि इस लोन को अप्रूव करना है। मुझ पर दबाव डाला गया और मैंने इस्तीफा दे दिया’
दूबे ने यह भी कहा कि यूपीए सरकार से चला आ रहा घोटाला एनडीए सरकार में 10 गुना, 50 गुना बढ़ गया। उन्होंने कहा कि शिकायत करने पर उन्हें वित्त सचिव ने ऊपरी दबाव की बात कहकर स्वतंत्र निदेशक पद से इस्तीफा देने को कहा था। दिनेश दूबे ने मीडिया के सामने कहा कि वह जांच एजेंसियों को सहयोग देने को तैयार हैं। दूबे पत्रकार हैं और 2012 में उन्हें बैंक का स्वतंत्र निदेशक बनाया गया था। गौरतलब है कि 11,300 करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले में नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चौकसी घिरे हुए हैं।
पीएनबी घोटाले में 8 और अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इनमें एक अधिकारी महाप्रबंधक स्तर का है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इस घोटाले में शामिल होने के संदेह में इन अधिकारियों को निलंबित किया गया है। अधिकारी ने कहा कि पीएनबी अन्य बैंकों को इस मामले में उनके बकाए का भुगतान 31 मार्च तक करेगा। इसका वित्तपोषण आंतरिक संसाधनों से किया जाएगा। बुधवार को यह घोटाला सामने आने के बाद बैंक ने 10 कर्मचारियों को निलंबित किया था। इस घोटाले में हीरे के आभूषण डिजाइनर नीरव मोदी ने पीएनबी की मुंबई शाखा से फर्जी साख पत्र हासिल किए और अन्य भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं से कर्ज हासिल किया। इस मामले की जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय सहित अन्य एजेंसियों द्वारा जांच की जा रही है।