टैक्सपेयर के पैसों से भारत में छुट्टियां मना रहे हैं जस्टिन ट्रूडो
बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और उनके परिवार के सदस्यों की तस्वीरों से भरा हुआ है.कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो एक हफ्ते के भारत दौरे पर हैं. उनके कथित ठंडे स्वागत को लेकर भारत और कनाडा की मीडिया में कई खबरें आईं, लेकिन इस बीच कनाडा में उनके इस दौरे को लेकर आलोचना होने लगी है. यहां तक आरोप लगाया जा रहा है कि पीएम जस्टिन वहां के ‘टैक्सपेयर के पैसे से भारत में छुट्टियां मना रहे है, एवं लोगों का पैसा खा के मौज कर रहे हैं. आलोचकों का कहना है कि जस्टिन का भारत दौरा एक हफ्ते का है, लेकिन दिल्ली में भारत के लीडर्स के साथ उनका कार्यक्रम महज आधे दिन का है. जस्टिन अपने दौरे के शुरुआती दिनों में आगरा, अहमदाबाद की यात्रा कर चुके हैं. वह बुधवार को अमृतसर के स्वर्णमंदिर भी पहुंचे. अपने दौरे के तीन दिन के बाद जस्टिन एक बिजनेस फोरम में भी शामिल हुए जहां भारत और कनाडा की कंपनियों के बीच 1 अरब डॉलर के समझौते हुए.
कनाडा में आलोचकों का कहना है कि जस्टिन का यह ‘कूटनीतिक दौरा’ महज ‘पारिवारिक छु्ट्टी’ में बदलकर रह गया है और उनका जोर सिर्फ फोटो खिंचवाने पर है. ओटावा स्थित कनाडियन टैक्सपेयर फेडरेशन के फेडरल डायरेक्टर आरोन वुड्रिक ने हिंदुस्तान टाइम्स अखबार से कहा, ‘यह बात तो समझ में आती है कि प्रधानमंत्री खूब यात्राएं करें, लेकिन इस बार के दौरे में वह जितना समय लगा रहे हैं और विदेशी समकक्षों से मिलने के लिए जिनता समय दे रहे हैं, उसे धन का सही इस्तेमाल नहीं कहा जा सकता. एक देश के दौरे के लिहाज से एक हफ्ते का समय बहुत ज्यादा है.’
यह भी कहा जा रहा है कि इस दौरे में पंजाब जैसी जगहों को शामिल कर पीएम ट्रूडो कनाडा के प्रवासियों में अपनी छवि को बेहतर करने की कोशिश में लगे हैं. वुड्रिक ने कहा, ‘कोई यह कह सकता है कि पीएम का यह दौरा कनाडा के विशाल भारतीय डायस्पोरा को ध्यान में रखकर तय किया गया है. चुनाव के लिए अपनी छवि बनाना उनका अधिकार है, लेकिन इसके लिए कनाडा के टैक्सपेयर का धन नहीं लगना चाहिए था.’
गौरतलब है कि साल 2016 में ट्रूडो ने चीन का 10 दिन का दौरा किया था और कनाडा के न्यूज चैनल सीबीसी न्यूज ने अनुमान लगाया था कि उनकी इस यात्रा पर 18 लाख डॉलर खर्च हुए.
ओटावा के कार्लटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विवेक दहीजा का भी ऐसा ही कुछ कहना है्. उन्होंने कहा, ‘यह टैक्सपेयर्स के पैसे की बर्बादी है, क्योंकि इससे हासिल कुछ खास नहीं होना है.’ हालांकि पीएम जस्टिन का कहना है कि भारत और कनाडा का रिश्ता सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि आर्थिक और कारोबारी है.