लीसा में 82 लाख का घपला फिर हुआ उजागर

देहरादून। उत्तराखण्ड में पिछले 17 सालों से ड्रामेबाजी चल रही है कि भ्रष्टाचारियों व घोटालेबाजों पर नकेल लगाई जायेगी लेकिन इस कार्यकाल में आज तक न तो कोई बडा सफेदपोश और न ही कोई बडा अफसर भ्रष्टाचार पर दंडित हुआ है। चम्पावत के पूर्व डीएफओ का इतिहास खंगालने का जिम्मा आईएफएस संजीव चतुर्वेदी को जबसे मिला है तब से उन्होंने चम्पावत वन प्रभाग में हुए घोटाले व घपलों की जांच की परतें उखेडनी शुरू कर दी हैं और अब यह बात भी सामने आई है कि वर्षों पूर्व चम्पावत वन प्रभाग में लीसा मद में 82 लाख रूपये की अनियमितताओं पर पूर्व डीएफओ को दोषी माना गया था और प्रभागीय वन अधिकारी चम्पावत ने वन संरक्षक उत्तरी कुमांऊ को इस बारे में अपनी आख्या भी दी थी लेकिन यह फाइल कहां दफन हो गई यह रहस्य बना रहा लेकिन अब मामले की जांच कर रहे संजीव चतुर्वेदी ने इस फाइल की परतें भी उधेडनी शुरू कर दी हैं जिससे साफ नजर आ रहा है कि डीएफओ में आने वाले समय में शिंकजा कसना तय है। सवाल उठ रहे हैं कि डीएफओ के खिलाफ प्रमुख वन संरक्षक ने जांच के आदेश तो कर रखे हैं लेकिन सरकार ने अभी तक पूर्व डीएफओ की सम्पत्तियों की जांच पर क्यों चुप्पी साध रखी है यह उसकी मंशा पर सवाल खडे कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व चम्पावत के डीएफओ अशोक कुमार गुप्ता की भ्रष्टाचार को लेकर एक ऑडियो क्लीप सोशल मीडिया पर उजागर हुई थी तो शासन ने इस पर गंभीरता दिखाते हुए अशोक कुमार गुप्ता को प्रमुख वन संरक्षक कार्यालय में तैनात होने के आदेश दिये थे और इसकी जांच आईएफएस संजीव चतुर्वेदी को सौंपी गई थी। संजीव चतुर्वेदी चम्पावत वन प्रभाग में छिलका गुलिया से लेकर कई मामलों की जांच पडताल कर रहे हैं और उन्होंने अपनी पहली 200 पन्नों की रिपोर्ट शासन को भी सौंप दी है। जांच के दौरान जब उन्हें इस बात का पता चला कि 2009-10 में लीसा मद में अनियमितता व्यय की समीक्षा के दौरान 82 लाख 16 हजार 177 रूपये प्रकरण सामने आया था जिसके बाद इस कथित अनियमितता व्यय के लिए तत्कालीन प्रभागीय वन अधिकारी एस.के. गुप्ता का उत्तरदायित्व निर्धारित किया गया था उस समय चम्पावत वन प्रभागीय एम.पी. सिंह ने उत्तरी कुमांऊ के वन संरक्षक को पत्र लिखा था कि उनके द्वारा निर्देषित किया गया है कि अनियमितता व्यय के लिए दोषी कर्मचारी/अधिकारी का उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए उनके विरूद्व आरोप पत्र निर्गत कर सक्षम स्थल को अपनी संस्तुति सहित भेजे। पत्र में कहा गया था कि क्या तत्कालीन प्रभागीय वन अधिकारी एस.के. गुप्ता के सम्बन्ध में आरोप पत्र इस वन प्रभाग से निर्गत करने की कार्यवाही की जाये। चर्चाएं हैं कि लीसा मद में लाखों रूपयों की अनियमितताओं के मामलों की फाइल अलमारी में कैद हो गई और उस पर सम्भवत: कोई कार्यवाही नहीं हो पाई थी अब इस मामले की जांच संजीव चतुर्वेदी ने शुरू की तो उन्होंने इस फाइल को भी खंगालना शुरू कर दिया है। सवाल खडे हो रहे हैं कि आखिरकार क्या डीएफओ उत्तराखण्ड में इतना पॉपरफुल है कि उससे सरकारें भी घबराती रही हैं जिसके चलते उनके हर भ्रष्टाचार पर वह चुप्पी साधे रही? अब देखने वाली बात होगी कि क्या संजीव चतुर्वेदी की जांच के बाद सरकार दागी डीएफओ पर बडी कार्यवाही करने के लिए आगे आती है या फिर हर बार की तरह उनके खिलाफ हुई जांच अलमारी में कैद हो जायेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *