तिनन घाटी के लोगों ने मनाया हालडा उत्सव

तिनन घाटी के लोगों ने मनाया हालडा उत्सव
-रात को मशाल जलाकर भगाई आसुरी शकितयां
-पूजा-अर्चना के साथ की खुशहाली की कामना

परी वर्मा, कुल्लू,29 जनवरी। कुल्लू में लाहुल-स्पीति की तिनन वैली के लोगों ने धूमधाम से हालडा उत्सव मनाया। इस मौके पर 100 के करीब महिला-पुरूष व युवाओं ने भाग लिया। तिनन वैली के नंदलाल ठाकुर ने बताया कि इन दिनों लाहुल की विभिन्न घािटयों में हालड़ा उत्सव की धूम है। उन्होंने बताया कि नये साल में हालड़ा उत्सव जनजातीय लोगों का पहला त्यौहार है ऐसे में यहां के लोग हर वर्ष इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं। इसी कड़ी में इस वर्ष तिनन वैली के लोगों ने इस त्योहार को कुल्लू मनाया। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर लोगों ने पारंपरिक तरीके से पूजा-अर्चना करने के बाद रात के समय मशाल जलाई और पूरे क्षेत्र की खुशहाली की कामना की। उन्होंने बताया कि घाटी के अजय ठाकुर, विक्की व रविश द्वारा इस उत्सव को लेकर पूरी तैयारियां की गई।
बॉक्स
क्यो और कैसे मनाया जाता है हालडा उत्सव त्यौहार
लाहुल के लोग बर्फ के बीच भी अपने उत्सव और त्योहारों में अपनी परंपराओं को निर्वहन पूरी निष्ठा से करते हैं। लाहुल-स्पीति में आजकल हालडा उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह उत्सव हर वैली में मनाया जाता है। पट्टन वैली, गोंधला वैली, मियाड़ वैली, तिनन वैली में हालडा उत्सव अलग-अलग निर्धारित तिथियों में मनाया जाता है। हालडा उत्सव का अायोजन एक निर्धारित तिथि, समय और निर्धारित ही दिशा के अनुसार किया जाता है। इस उत्सव में देवीदार की पत्तियों से देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। इसके बाद लकडिय़ों को चीरकर मशालें बनाई जाती हैं और तीन-चार मशालों का एक गठ बनाया जाता है। मशाल को जलाने से पहले लोग अपने घरों में अपने इष्ट देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं और उसके बाद घर मुख्य ही इस मशाल का जाता है। यह मशाल लोग रात को मुख्य लामा द्वारा निर्धारित समय पर ही जलाते हैं और निश्चित समय में घर का मुख्य अपने घरों से बाहर हालडा को लाते हैं। इसके बाद हालडा को वर्षों से चिन्हित स्थान पर जाकर मशालों को एकत्रित कर जलाया जा है।
बॉक्स
नंद लाल ने बताया कि इस समय देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर होते हैं जिस कारण घाटी में अासुरी शकितयों का प्रभाव होता है और इन आसुरी शकितयों के प्रभाव से बचने के लिए ही रात के समय मशाल जलाई जाती है और इस दौरान यहां पर लोग दूसरे गांव के लोगों को अश्लील गालियां देते हैं। माना जाता है कि इससे बुरी शक्तियां अपना अपमान समझकर दूर भागती हैं। इस उत्सव के संपन्न होने के बाद लोग अपने घरों में तीन-चार दिन के बंद हो जाते हैं। मान्यता के अनुसार यह लोग एक-दूसरे का मुंह नहीं देखते हैं। परिवार के लोग भी आपस में धीरे-धीरे बात करते हैं और कोई शोर-शराबा नहीं करते हैं। तीन-चार दिन के बाद लोग अपने घरों से निकल कर अपने रिश्तेदारों के यहां जाते हैं और हालडा उत्सव की बधाईयां देते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *