बजट 2018: सैलरी वालों को 40,000 के स्टैंडर्ड डिडक्शन की छूट तो दी, लेकिन यहां दिया उन्हें झटका

नई दिल्ली. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को नौकरी पेशा लोगों को बजट से निराश ही किया। इनकम टैक्स की छूट सीमा न बढ़ाकर उन्होंने सैलरी वाले लोगों को मायूस किया। हालांकि वित्त मंत्री ने बजट में जहां सैलरी वालों को राहत देने के नाम पर 40 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन शुरू किया, वहीं दूसरी तरफ ट्रांसपोर्ट अलाउंस और मेडिल रीइंबर्समेंट की टैक्स छूट को खत्म करके झटका दिया। अब नौकरी पेशा लोग ट्रांसपोर्ट अलाउंस और मेडिकल रीइंबर्समेंट के जरिए टैक्स छूट नहीं ले पाएंगे। अभी तक 15 हजार रुपये तक के मेडिकल बिल और 19,200 रुपये तक के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट मिलती थी।
स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत आपको किसी निवेश या खर्च का बिल पेश नहीं करना पड़ेगा और आपको टैक्स में छूट मिल सकेगी। यानी आपकी ग्रोस सैलरी में से 40 हजार रुपये घटाकर इनकम टैक्स का आकलन किया जाएग।
इनकम टैक्स पर सेस बढ़ाया
इसके अलावा बजट में इनकम टैक्स पर 1 फीसदी सेस बढ़ाया गया। सेस 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी किया गया है। यानी अब नौकरीपेशा लोगों को ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ट्रांसपोर्ट अलाउंस व मेडिकल रीइंबर्समेंट की सुविधा खत्म करने और सेस बढा़ने से स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा बेहद मामूली होगा।
मिडिल क्लास को झटका, नहीं बढ़ी इनकम टैक्स की सीमा
टैक्स स्लैब की मौजूद व्यवस्था कायम रहेगी। अभी 2.5 लाख रुपए तक की सालाना आय टैक्स मुक्त है। 2.5 से 5 लाख रुपए की आय पर 5 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। इसके अलावा, इस वर्ग में 2,500 रुपये की अतिरिक्त छूट भी है, जिससे तीन लाख रुपए तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है। 5 से 10 लाख तक की आय पर 20 फीसदी टैक्स लगता है। 10 लाख रुपये से ज्यादा की सालाना आमदनी पर अभी तक 30 फीसदी के हिसाब से टैक्स लगता रहा है।

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