जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी, हमें अपने जवानों पर गर्व करना चाहिए, वे मारते-मारते मरे हैं : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख में चीन से विवाद पर पहली बार देश को संबोधित किया.
पीएम मोदी ने 44 सेकेंड के वीडियो में चीन को चेतावनी देने के साथ ही सुरक्षाबलों और देशवासियों को यह भी बताया कि हम आत्मरक्षा करने में सक्षम हैं और जिन जवानों की शहादत हुई है, वो व्यर्थ नहीं जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमें अपने जवानों पर गर्व करना चाहिए, वे मारते-मारते मरे हैं. पीएम ने वीडियो में यह भी कहा कि भारत शांति चाहता है लेकिन भारत उकसाने पर हर हाल में यथोचित जवाब देने में सक्षम है. इस संदेश के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साफ शब्दों में बता चुके हैं कि भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा करने में सक्षम है.
पीएम मोदी ने कहा, ‘हमने हमेशा से अपने पड़ोसियों के साथ मिलकर काम किया है. हमेशा उनके विकास और कल्याण की कामना की है. जहां कहीं मतभेद भी रहे हैं, हमने हमेशा ये प्रयास किया है कि मतभेद विवाद न बने. हम कभी किसी को भी उकसाते नहीं हैं. लेकिन अपने देश की अखंडता और संप्रभुता के साथ समझौता भी नहीं करते. जब भी समय आया है हमने देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने के लिए अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है, अपनी क्षमताओं को साबित किया है.’ ‘त्याग और तपस्या हमारे चरित्र का हिस्सा है. विक्रम और वीरता भी हमारे चरित्र का हिस्सा है. देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करने से हमें कोई भी रोक नहीं सकता. इसमें किसी को भी भ्रम नहीं होना चाहिए. भारत शांति चाहता है लेकिन भारत उकसाने पर हर हाल में यथोचित जवाब देने में सक्षम है और हमारे दिवंगत शहीद वीर जवानों के विषय में देश को इस बात का गर्व होगा कि वे मारते-मारते मरे हैं.’

china india soldier
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15 जून की रात लद्दाख की गलवान घाटी में LAC पर भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच हुए गलवान वैली में हुए हिंसक झड़प में हमारे 20 जवान शहीद हो गए और चीन के करीब 40 जवान हताहत हुए हैं.
चीन ने भारत पर ही कार्रवाई का आरोप लगाया है जबकि भारत ने साफ तौर पर कहा है कि ये पूरी घटना चीन की हिमाकत का नतीजा है.
पीएम ने 19 जून यानी शुक्रवार को चीन के साथ सीमा पर तनाव के मौजूदा हालात पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की परिस्थितियों पर चर्चा की जाएगी.
सीमा पर तनाव अब भी जारी है. हालांकि, बातचीत भी चल रही है.
चीन के खिलाफ भारत कड़े आर्थिक फैसले ले सकता है जिसमें चीनी प्रोजेक्ट को कड़ाई से लेकर उन प्रोजेक्ट को रद्द भी किया जा सकता है, जिनमें चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी है.

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