चकराता के ऊंचाई वाले इलाकों में दस साल बाद दिसंबर में बर्फबारी हुई,माइनस एक डिग्री तक पहुंचा पारा

चकराता के ऊंचाई वाले इलाकों में दस साल बाद दिसंबर में बर्फबारी हुई है। सेब के अच्छे उत्पादन के लिए यह बर्फबारी बहुत फायदेमंद है। बागवानी से जुड़े किसान इस बर्फबारी से खुश हैं। पिछले सीजन में समय पर अच्छी बर्फबारी न होने से सेब का उत्पादन कम हुआ था। इस बार दिसंबर में हुई बर्फबारी से सेब की फसल अच्छी होने की उम्मीद है।

 दिसंबर के दूसरे सप्ताह में चकराता क्षेत्र के ऊंचाई वाले इलाकों में दस साल बाद बर्फबारी हुई है। वहीं पछवादून के कई इलाकों में रविवार रात करीब सवा नौ बजे तेज हवा के साथ बारिश हुई। सेब के अच्छे उत्पादन के लिए दिसंबर में हुई बर्फबारी मुफीद है, क्योंकि दिसंबर में हुई बर्फबारी से सेब के लिए चिलिंग प्वाइंट विकसित हो जाता है।
बागवानी से जुड़े किसान बर्फबारी से खुश हैं। बागवानी में सेब, खुमानी, नाशपाती, पूलम के पौधों पर फरवरी और मार्च के बीच फूल निकलना शुरू हो जाते हैं। नवंबर से 30 जनवरी के बीच हुई बर्फबारी से पेड़ों पर अच्छे फूल निकलते हैं और फसल भी अच्छी होती है।

पिछले सीजन में समय पर अच्छी बर्फबारी न होने से सेब का उत्पादन कम हुआ था। स्थानीय कृषक और बागवान गौरव चौहान, दिनेश चौहान, रतन सिंह, सुल्तान सिंह, रोहण राणा, रघुवीर सिंह चौहान, बृजेश जोशी, देवेंद्र सिंह, नरेंद्र सिंह, नारायण सिंह, विजयपाल आदि का कहना है कि सेब की फसल के लिए दिसंबर में हुई बर्फबारी फायदेमंद रहेगी।

स्थानीय बुजुर्ग टीकाराम शाह ने बताया कि 2003 और 2016 में नवंबर में बर्फबारी हुई थी। 10 वर्ष पहले पांच दिसंबर तक हर वर्ष बर्फबारी हो जाती थी, लेकिन कुछ वर्षों से पर्यावरण संतुलन बिगड़ने से समय पर बर्फबारी नहीं हो रही थी। हालांकि रविवार सुबह से ही जौनसार बावर के चकराता सहित ऊंचाई वाले इलाकों में मौसम बदला। धूप और बादलों की लुका छुपी का खेल जारी रहा और हवा ने जबरदस्त ठंड का अहसास कराया। दिन में तापमान 11 डिग्री तो रात को माइनस एक डिग्री तक पहुंचा।
छावनी बाजार चकराता के व्यापारी नैन सिंह राणा, राजेंद्र चौहान, अमित जोशी, राजेंद्र अरोड़ा, केशर सिंह चौहान, राहुल चांदना, आनंद राणा, सुरेंद्र रावत, अमित अरोड़ा, रविंद्र चौहान, अशोक कुमार गोयल, नितेश आदि का कहना है कि बर्फबारी होने से पर्यटकों की संख्या बढ़ने से ठंडे पड़े कारोबार में गर्मी आएगी।

चकराता: ग्रामीणों द्वारा अपने स्तर से अलाव की व्यवस्था की गई है। सरकारी स्तर पर इसके लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाये गए हैं। उप जिलाधिकारी चकराता योगेश सिंह मेहरा का कहना है कि एक सप्ताह के अंदर चकराता क्षेत्र में स्थान चिह्नित कर रोजाना अलाव की व्यवस्था की जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *