इस समय के बाद की लापरवाही तो बढ़ जाएंगे गर्भपात के आसार

गर्भधारण के बाद महिला के शरीर में कुछ अलग प्रतिक्रियाएं होनी शुरू हो जाती हैं, इसके परिणाम शरीर में बाहरी रूप में दिखाई देने शुरू हो जाते हैं। प्रांरभिक सप्‍ताह के लक्षण दूसरे सप्‍ताह में भी मौजूद रहते हैं। ऐसे में महिला को थकान, बुखार, हाथ-पैरों में सूजन और सिर दर्द आदि की शिकायत बनी रहने की आशंका बनी रहती है।
गर्भावस्था का दूसरा हफ्ता होने के कारण महिला के हार्मोन्‍स में तेजी से बदलाव होता है। इस दौरान ओवरी से अंडे के बाहर आने का समय शुरू होने लगता है और भी बहुत से परिवर्तन दूसरे सप्‍ताह में शुरू हो जाते हैं। इस लेख के जरिए जानते हैं गर्भावस्था के दूसरे सप्‍ताह के बारे में।
दूसरे सप्‍ताह के लक्षण-
गर्भावस्था के दूसरे सप्‍ताह में भ्रूण जीवन की शुरूआत हो जाती है।
गर्भावस्था के प्रारंभिक दौर में ओवरी में बने अंडे का दूसरे सप्‍ताह में बाहर आने का समय हो जाता है।
दूसरे सप्‍ताह में कई बार पेट में या पैरों में ऐंठन भी होने लगती है।
गर्भवती महिला को यदि जुड़वा बच्चे होने की संभावना होगी तो ओवरी में दो अंडे बनेंगे और दोनों एक साथ इस समय में बाहर आ सकते हैं। कुछ परिस्थितियों में ये अंडे तीन या चार भी हो जाते हैं। शुरूआती सप्‍ताहों में महिलाओं में गर्भावस्‍था से संबंधित कोई विशेष लक्षण दिखाई नहीं देते, लेकिन शुरूआती सप्‍ताह सबसे ज्यादा अहम होते हैं। इस दौरान किसी भी तरह की लापवाही से गर्भपात होने की आशंका बनी रहती है।
यदि आपको यह जानना है कि आप गर्भवती हैं या नहीं, तो यह कनफर्म करने के लिए आप डॉक्टर से जांच करवा सकती हैं या किसी दवा की दुकान से होम प्रेग्‍नेंसी किट खरीद सकती हैं। इस किट से जांच करने पर पता चल जाएगा कि आप गर्भवती हैं या नहीं।
इसके अलावा गर्भावस्था के लक्षणों में यदि गर्भवती महिला की बच्चेदानी बढ़ने लगती है और पेशाब की थैली पर दबाव बढ़ने से ज्‍यादा पेशाब आने लगे तो महिला के गर्भधारण की संभावना पुख्ता हो जाती है।
शरीर में लगातार होने वाले बदलावों से हर समय थकान महसूस करना भी गर्भधारण का ही लक्षण है।
ये समय एक अच्छे डॉक्टर की सलाह लेने का है। साथ ही आपको अपनी लाइफस्टाइल पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
दूसरे सप्‍ताह में आहार
अच्छी डाइट लें और स्‍मोकिंग व एल्कोहल का सेवन बिल्कुल छोड़ दें।
नॉर्मल खाने के बजाय डाइट में प्रतिदिन 300 कैलोरी लेनी चाहिए। जिसमें आप फल, सब्जियां और लो फैट दूध के उत्पाद ले सकती हैं।
गर्भधारण के पश्‍चात गर्भवती महिला को ठंडा या कच्चा दूध पीने से बचना चाहिए।
गर्भावस्‍था के दौरान आपके द्वारा खाया गया आहार भ्रूण पर असर करता है। इसलिए ऐसा आहार न लें जो भ्रूण के लिए नुकसानदायक हो सकात है।
गर्भधारण के बाद मांस और मछली के सेवन से परहेज करना चाहिए। यदि नॉनवेज खाने का मन है तो इसके लिए पहले डॉक्‍टर से मशविरा कर लें।
फ्रीज में रखा ज्‍यादा पुराना खना खाने से बचना चाहिए।
कुछ भी कच्ची, बांसी या ठंडी चीज खाने से गर्भ में पल रहे शिशु पर विपरीत असर पड़ सकता है।
डॉक्टर की सलाह से व्यायाम करना शुरू करना चाहिए। अच्छी नींद लेनी चाहिए।

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