नाबार्ड करेगा खराहल घाटी की महिलाओं को जागरूक, महिलाएं बनेंगी आत्मनिर्भर

नाबार्ड घाटी में 50 समूह तैयार कर मुहैया करवाएगा टे्रनिंग, चेतना समिति महिलाओं के काम का तैयार करेगी डाटा
कमलेश वर्मा (परी)
कुल्लू, 17 दिसंबर। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड जिला के खराहल की महिलाओं को जागरूक करेगा। स्वयं सहायता योजना के तहत घाटी में 50 स्वयं सहायता समूहों के जरिए यह काम पूरा किया जाएगा और जिला की अग्रणी सामाजिक संस्था चेतना समिति महिलाओं को समूहों को तैयार करने में तकनीकी मदद देगी। रविवार को घाटी के त्रांबली में महिलाओं के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बैंक के अधिकारियों के अलावा संस्था के नुमाईंदों ने भाग लिया।
इस पीआईएमसी बैठक में आठ स्वयं सहायता समूहों के 39 सदस्यों ने भाग लिया और योजना के बारे में जानकारी ली। नाबार्ड बैंक की उप जिला प्रबंधक उर्मिल लता ने महिलाओं को समूहों के माध्यम से मिलने वाली सरकार की योजनाओं के बारे में बताया। उन्होने बताया कि जिला और प्रदेश में कई महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह तैयार कर ऐसे कार्यों को अंजाम दिया है जिससे लाखों की कमाई अब वे कर रही हैं। उन्होने इस मौके पर कहा कि कभी खराहल बैल्ट दालों के उत्पादन में अग्रणी माना जाता था और महिलाएं इस क्षेत्र में बेहतर कार्य कर सकती है और मुनाफा कमा सकती है। उन्होने स्वयं सहायता समूहों द्वारा की जा रही गतिविधियों का रिकार्ड भी इस मौके पर खंगाला तो निर्देश समूहों को दिए। इस मौके पर ग्रामीण बैंक की रामशिला ईकाई के शाखा प्रबंधक विवेक कुमार ने महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों को तैयार करने और इन्हे संचालित करने के गुर बताए। उन्होने बताया कि बैंकों द्वारा समूहों को किसी भी प्रकार के कार्य को आरंभ करने पर मदद के तहत लोन उपलब्ध करवाया जाता है। उन्होने बैंक की अन्य योजनाओं के बारे में भी जानकारी प्रदान की। उन्होने बीमा योजनाओं के बारे में भी जानकारी प्रदान की। चेतना समिति के निदेशक बेली राम नेगी, महासचिव एचएल ठाकुर और कार्यक्रम सहप्रभारी मीना भारद्वाज ने बताया कि खराहल क्षेत्र में महिलाओं द्वारा की जाने वाली गतिविधियों का डाटा तैयार किया जाएगा और इसी के आधार पर इन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए मार्गदर्शन दिया जाएगा। इस मौके पर स्वयं सहायता समूहों के पदाधिकारियों और सदस्यों ने विभिन्न प्रकार समस्याओं से संबंधित सवाल भी किए और इनका समाधान जाना।

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