रोहतांग टनल बनने से शीत रेगिस्तान जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति नए युग में कर रहा प्रवेश

बर्फवारी के दौरान टनल से हो सकेगी एंबुलेंस व परीक्षा देने वाले छात्रों की आवाजाही
कमलेश वर्मा(परी),कुल्लू, 21 दिसंबर। सामरिक और आर्थिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण रोहतांग टनल के दोनों छोर जुड़ जाने से अब शीत रेगिस्तान जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति नए युग में प्रवेश करने जा रहा है। सुरंग के दोनों छोर जुड़ जाने से इस बार लाहुल घाटी के लोगों को सर्दियों में बर्फवारी की कैद से राहत मिली है। रोहतांग टनल हालांकि आम जनता के व वाहनों की आवाजाही के लिए नहीं खुली है लेकिन सर्दियों में इस टनल का जनजातीय लोगों को फायदा मिलेगा क्योंकि इस बार मरीज व परीक्षा देने वाले छात्र इस टनल से वाहन के जरिए आवाजाही कर सकेंगे। बीआरओ और लाहुल-स्पीति प्रशासन के बेहतर तालमेल के चलते मरीजों व परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को रोहतांग सुरंग से आने-जाने की सुविधा मिल गई है। हालांकि अभी तक इस सुविधा का किसी मरीज ने लाभ नहीं उठाया है, लेकिन बीआरओ की ओर से सड़क गुफा होटल तक बहाल होते ही मरीज रोहतांग सुरंग होते हुए लाहुल से मनाली आ सकेंगे। लाहुल घाटी के लोगों खासकर मरीजों के लिए यह वर्ष खास है।
इस बार उन्हें बर्फबारी के चलते छह माह तक चलने वाली कैद से सदा के लिए मुक्ति मिल जाएगी। हालांकि सुरंग आम लोगों के यातायात के लिए अगले साल 2018 में ही खुल पाएगी लेकिन सर्दियों में बर्फबारी के दौरान मौसम खराब होने सूरत में हेलीकॉप्टर के न आने पर एंबुलेंस व परीक्षा देने वाले बच्चों के लिए इस टनल से आने की सुविधा दी जाएगी। हर वर्ष छह महीने बर्फ में कैद रहने वाले लाहुल के लोगों को बीमार होने की सूरत में खराब मौसम में हवाई सेवा न मिलने के चलते घाटी से बाहर निकलने की ङ्क्षचता सताती थी, लेकिन इस बार बीआरओ ने रोहतांग सुरंग के दोनों छोर जोड़ दिए हैं। इससे घाटी के लोगों को राहत मिली है। बीआरओ और लाहुल-स्पीति प्रशासन के बीच नवंबर में हुई बैठक में लोगों को सुविधा देने पर सहमति बनी थी। तालमेल के चलते आपात स्थिति में मरीज भी घाटी से बाहर जा सकेंगे और बीआरओ का सुरंग का कार्य भी प्रभावित नहीं होगा। गौर रहे कि जनजातीय जिला के लोगों को वर्फवारी के दौरान साल में ६ माह तक बर्फ के कारावास में रहना पड़ता है और पूरे विश्व से इस जिला का संपर्क कट जाता है। यहां पर रहने वाले लोगों को सर्दियों के मौसम में खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बर्फवारी के दौरान रोहतांग दर्रा पूरी तरह से बंद हो जाता है और किसी भी तरह की इमरजेंसी में लाहुल के लोग घाटी में फंस जाते हैं। ऐसे में टनल से एंबुलेंस की आवाजाही शुरु होना, उनके लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। देश की सबसे लंबी बनने वाली इस टनल के खुलने से केलांग की मनाली से दूरी 60 किलोमीटर कम हो जाएगी। फिलहाल केलांग मनाली से लगभग 160 किलोमीटर दूर है।
बॉक्स
रोहतांग सुरंग के दोनों छोर जुड़ गए हैं और अब बीआरओ सुरंग के आकार को सही रूप देने में जुट गया है। बर्फवारी में रोहतांग दर्रा बंद हो जाने के बाद अब बीआरओ लाहुल-स्पीति प्रशासन के साथ तालमेल बिठाते हुए मरीजों को आने-जाने की सुविधा प्रदान करेगा।
चीफ इंजीनियर कर्नल चंद्र राणा, बीआरओ रोहतांग सुरंग परियोजना
बॉक्स
लाहुल-स्पीति प्रशासन मरीजों, परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों व जरूरतमंदों को चिह्नित करने के बाद ही रोहतांग सुरंग से आने-जाने की अनुमति देगा। बीआरओ ने गुफा होटल तक मार्ग बहाली का कार्य शुरू कर दिया है। आपात स्थिति में प्रशासन की ओर से अनुमति मिलने पर मरीज व जरूरतमंद लोग सुरंग से आर-पार जा सकेंगे।
कुलवीर राणा, एसडीएम केलांग